सतीश "बब्बा"
सब कोई होशियार हो गया,
बेटा, बाप का बाप हो गया,
उमर चाहे जितनी छोटी हो,
सब कोई तीरंदाज़ हो गया!
अस्पतालों में देखा, सब कोई बीमार हो गया,
सड़कों में सब, बेरोजगार हो गया,
बस, रेल में देखो, सब कोई यात्री हो गया,
स्कूलों में देखो, सब कोई छात्र हो गया!
पहाडों में सब का घर बन गया,
स्वच्छ धारा वाली नदियों में, नरदा हो गया।
खेती वाली धरती, घटकर संकीर्ण हो गई,
सभी के घरों में बच्चों की क्रिकेट टीम हो गई!
मंदिरों में देखो, सब भक्त - पुजारी हो गया,
बाजारों में देखो, सब खरीदार हो गया,
समाज में कोई हिंदू, कोई मुसलमान हो गया,
मोबाइल को लेकर सब व्यस्त हाल हो गया!
मंदिरों के बाहर सब भिखारी हो गया,
क्या हुआ दुनिया को, हाल - बेहाल हो गया,
भगवान भी बँटकर, तेरा - मेरा हो गया,
लगता है अब विनाश का समय पास आ गया!
सतीश "बब्बा"
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