सतीश "बब्बा"
हे ऊपर वाले,
तेरी यह कैसी माया,
वीवी, बच्चों वाला करके,
यह कैसा खेल रचाया!
हे ऊपर वाले क्यों,
तूने मुझे बाप बनाया,
जब तक रही जवानी,
तूने मुझे खूब घुमाया!
हे ऊपर वाले तूने,
भरे - पूरे परिवार वाला मैं,
फिर भी अकेला हूँ मैं,
प्यार से उन्हें बुलाता हूँ मैं!
हे ऊपर वाले तूने,
बूढ़ा होने से पहले,
तू ने हमको दुनिया से,
क्यों नहीं उठाया!
हे ऊपर वाले तू ने,
यह कैसी लीपापोती है,
माया में बांधकर मुझको,
अपनी आँखें बंद कर ली है!!
सतीश "बब्बा"