सतीश "बब्बा"
काले बादल कितने चंचल हैं,
भूरे बादल पानी बरसाते हैं,
प्यासी धरती की प्यास बुझाते हैं,
झूम - झूमकर बूँदों से सुख देते हैं!
आषाढ़ माह में आते बादल,
धरती - अम्बर को सुख देते बादल,
पहाडों में छा जाते हैं बादल,
पेड़ों को सुख देते हैं बादल!
सावन में धरती हरी - भरी करते बादल,
चारों ओर हरियाली लाते बादल,
गर्मी से राहत देते हैं यह बादल ,
गोरी को सुख देते हैं बादल!
भादों माह के मोटे - मोटे बादल,
हरे - भरे जंगलों में चरते बादल,
भीषण पानी लाकर बरसाते बादल,
नदी, नद, नालों को उफनाते बादल!
सुंदर - सुंदर, प्यारे - प्यारे बादल,
कयी आकृतियां बनाते हैं बादल,
नीले गगन के चित्रकार हैं बादल,
अबकी आकर जल्दी बरसो बादल!
सतीश "बब्बा"