सतीश "बब्बा"
जब छोटे थे,
तब साथ नहीं छोड़ते थे,
बड़े क्या हुए,
छाँव तले नहीं आते हैं!
जब छोटे थे,
तब प्यार बहुत करते थे,
बड़े क्या हुए,
दुश्मन की तरह देखते हैं!
जब छोटे थे,
माँ के हाथ का ही खाते थे,
बड़े क्या हुए,
अकेले ही खा लेते हैं!
जब छोटे थे,
नहीं देखें तो बहुत ढूँढ़ते थे,
बड़े क्या हुए,
देखना नहीं चाहते हैं!
यही दशा उनकी है,
जिन्हें हम बेटा कहते हैं,
अब हम उन्हें ढूँढ़ते हैं,
वह दूरियाँ बनाते रहते हैं!!
सतीश "बब्बा"