यह सतीश "बब्बा" ( सतीश चन्द्र मिश्र ) द्वारा लिखित पुस्तक एक बार शुरू कर , पूरी पढ़ने का मन करता है , ऐसा लगता है कि, हमारी -अपनी कहानी इसमें लिखी गई है । यह पुस्तक पूर्ण रूप से काल्पनिक है । अगर किसी के जीवन से मेल खाती है तो यह महज एक संयोग मात्र है , इसके लिए लेखक, प्रकाशक जिम्मेदार नहीं हैं ।