सतीश "बब्बा"
कभी आना मेरे गाँव में,
बैठना पीपल, बरगद की छाँव में,
घुमाऊँगा तुम्हें पहाड़ी में,
मोर नाचते हैं सावन - भादों में!
कभी आना मेरे गाँव में,
घुमाऊँगा कागज वाली नाव में,
खिलाऊँगा खोवा शक्कर फ्री में,
दूध, दही पिलाऊँ अपने साथ में!
फ्री सिकंजी, नीबू - पानी,
बगजा मट्ठा, आम का टहुआ,
पुराण सुनाऊँ दादा जी की चौपाल में,
कभी आना मेरे गाँव में!
खोवा दुलहादीन की भैंस वाला,
दाना साँवा, कोदों, चना निरोग वाला,
पायल छनके गोरी के पाँव में,
कभी आना मेरे गाँव में!
दूध, छाछ, माखन - रोटी,
मीठा पानी झरना में टोटी,
निश्छल बातें, भाईचारे के रीत में,
कभी आना मेरे गाँव में!!