कविता। "सावन का मेला"
सतीश "बब्बा"
सावन का मेला आया,
भालू लेकर ठेला आया,
चाट, समोसा, फुलकी लाया,
पुलिस भेड़िया डण्डा लेकर आया!
भालू पर खूब रोब जमाया,
तेरे ठेला ने अव्यवस्था फैलाया,
भालू ने बीस का नोट दिखाया,
चाट, समोसा, फुलकी खिलाया!
खरगोस ने वीडियो बनाया,
सोशल मीडिया ने खूब दिखाया,
बात पहुँच गई राजा शेर तक,
राजा शेर ने मीटिंग बुलाया!
डी जी पी लकड़बग्घा को डाट बताया,
डी जी पी से डी आई जी बनाया,
नया डी जी पी चीता को बनाया,
एस पी सारस को, चीता ने हड़काया!
एस पी सारस से मिला भेड़िया,
ले - देकर कुछ रास्ता निकलवाया,
छह महीने को लाईन हाजिर कराया,
फिर बहाल होकर खूब पैसा कमाया!!
सतीश "बब्बा"