कविता। "आदत"
सतीश "बब्बा"
चले दहाड़ते जंगल के राजा,
पूछ दबा कर लोमड़ भागा,
सभी जानवर इत - ऊत छिप गए,
जंगल के राजा अकेले हो गए!
अपने बिल में सो रहे थे चूहा जी,
सुनी दहाड़ जागे चूहा जी,
चूहे को है गुस्सा आया,
दहाड़ते शेर के सम्मुख आया!
चूहा बोला जंगल के राजा हो,
नाहक एलर्जी क्यों खर्च करते हो,
इसीलिए तुम अकेले रहते हो,
परिजनों से भी दूर हो गए हो!
शेर को बहुत गुस्सा आया,
पिछला एहसान उसे याद आया,
बोला शेर चूहे से हंसकर,
क्या करूँ आदत को नहीं रोक पाया!
शेर चला गया अपने महल में,
चूहा जाकर सोया बिल में,
जंगल में चहल - पहल हो गई,
सजी बाजार फिर से जंगल में!!
सतीश "बब्बा"