कविता। "याद बहन की"
सतीश "बब्बा"
याद आ गयी उसकी,
जो मेरे से थी छुटकी,
कहता था मैं मोटकी,
बापू - अम्मा से मटकी!
बहुत प्यारी थी मुझको,
वह प्यार करती थी मुझको,
जब कुछ नहीं देता था उसको,
नोच डालती थी मुझको!
अपने हक के लिए थी लड़ती,
मैं नयन तारा था उसका,
मुझे नहीं देखती तुरंत दौड़ती,
हर घर में जाकर ढूँढ़ती!
मैं नहीं मिलता तो थी रोती,
मेरे बिना नहीं थी खाती,
जो पाती आधा मुझको देती,
एक दिन चली गई वह रोती!
हम खुश होते जब वह होती,
अब चंद दिनों को है आती,
अपनी भाभी को सीख - सिखाती,
मैं रोता हूँ जब वह मेरी बहना जाती!!
सतीश "बब्बा"