कविता। "बादल"
सतीश "बब्बा"
बहुत दिनों में आए बादल,
टिप टिप टिप बरषे बादल,
किसानों को हर्षाएं बादल,
दादुर, मोर, पपीहा के मन भाए बादल!
पेड़ों में जान ले आए बादल,
पहाडों में खुशी बन छाए बादल,
चींटी के पंख उगाए बादल,
झींगुर से गीत गवाए बादल!
काजल जैसे काले बादल,
भूरे, सफेद उमड़ते बादल,
कयी आकृतियां बनाते बादल,
कवियों को कविता सिखाते बादल!
अगर नहीं ए आते बादल,
सूखे से मर जाते पल - पल,
नदियों को बहाते बादल,
जीवन सबको देते बादल!
ठंडी हवा चलाते बादल,
बच्चों का मन हर्षाते बादल,
जामुन, आम पकाते बादल,
पर्यावरण को शुद्ध करते बादल!!