सतीश "बब्बा"
एक दिवस बंदर भैया,
गए पढ़ने स्कूल,
क्या पढ़ाया शिक्षक ने,
बंदर भैया गए भूल!
था खरगोस भूरेलाल,
शिक्षक तोता राम,
पूछे उनसे प्रश्न अनेक,
कौन दिवस है पूछे तोता राम!
संखा खरगोस ने बताया,
शिक्षक दिवस का मान बताया,
शिक्षक तोता राम खुश हो चिल्लाया,
सब बच्चों ने खुशी मनाया!
तोता राम खुश बहुत था,
बंदर को उसने माफ किया था,
सब शिक्षकों का मान किया था,
शिक्षक दिवस की गोष्ठी किया था!
बंदर भैया ने दिया सभी को फूल,
डा. राधाकृष्णनन् सर्वपल्ली को,
अर्पित किए श्रद्धा रूपी फूल,
ऐसे मनाया शिक्षक दिवस सितम्बर पाँच को!!
सतीश "बब्बा"
कविता। ( 2 ) "माँ"
सतीश "बब्बा"
सबसे पहला नाता,
जिसके उदर से जन्म लिया,
जिसके कुच का दूध पिया,
जिसके संग निर्भय सोया!
मैं सोता बिंदास, बेफिक्र,
वह जागती करती थी फिक्र,
मैं मुस्कराऊँ तब वह हंसती,
मैं रोता तो वह भी रोती!
विस्तर गीला मैं कर देता,
सूखे विस्तर में वह मुझे सुलाती,
खुद गीले में वह सो जाती,
हर मेरी हरकत में वह जागती!
कोई बेटा उऋण नहीं है,
अपनी जन्मदात्री माँ का,
बड़ा हुआ तब भी दिक्कत में,
छुप जाता माँ के आँचल में!
फिर ऐसा शकुन नहीं मिला,
जबसे चली गई है माँ,
ऐ ऊपर वाले तुझे क्या मिला,
दुखी हूँ जबसे चली गई है माँ!!
सतीश "बब्बा"