सतीश "बब्बा"
दुनिया अब खटाई है,
तनिक नहीं मिठाई है,
मिठाई से शुगर होती है,
इंसुलिन की कमी होती है!
पहले रिश्ते - नाते थे,
रिश्तेदारी में सब जाते थे,
दो - चार दिन सब रहते थे,
प्रेम - मिठास भरी बातें करते थे!
अब खटाई की चटाई है,
नहीं किसी के पास मिठाई है,
अब खट्टी, कड़वी बोली है,
ईर्ष्या - द्वेष की गोली है!
रिश्तेदारी में जब ईख तैयार होती,
तब रस पीते, राब की दावत होती,
दो - तीन दिन, हफ्ते भर मेहमानी होती,
फिर गुण लेकर घर की तैयारी होती!
अब तो मिर्च की खेती करते हैं,
पैसे अधिक कमाते हैं,
रात - दिन चैन नहीं, नहीं नींद भर सोते हैं,
थक कर जब बूढ़े होते, पड़े अकेले रोते हैं!!