सतीश "बब्बा"
कितने राज छिपे हैं चिलमन में,
कितने जुल्म छिपे हैं चिलमन में,
कितने इश्क़ छिपे हैं चिलमन में,
कितने पैगाम छिपे हैं चिलमन में!
चेहरा छिपता है चिलमन में ,
गुस्सा छिपता है चिलमन में,
नफरत छिपता है चिलमन में,
प्यार नहीं छिपता है चिलमन में!
यह चिलमन भी क्या चीज है,
खुल जाए तो कयामत आती है,
बंद रहे तो भी कयामत आती है,
यह चिलमन बड़ा निर्दय होता है!
तेरे चिलमन का दीवाना हूँ,
तू खोल दे मैं दीदार चाहता हूँ,
भाव तेरे कैसे भी है,
चिलमन में समझ न पाता हूँ!
चिलमन तेरा गहना है,
चिलमन को मेरा उलाहना है,
तू लाख छिपाए चिलमन में,
दिल के राज छिपाना मुश्किल है!