सतीश "बब्बा"
उदास रौशनी है,
बेहाल कामिनी है,
श्रृंगार फीका - फीका है,
कमर करधनी से खाली है!
उदास करधनी है,
कमर लचकनी है,
मधुर रागिनी है,
उदास रौशनी है!
शहरी चकाचौंध है,
चाँद अब भी मौन है,
गोरी का मन सोचनी है,
उदास रौशनी है!
दूर चक से चकी है,
परेशान चकोरी है,
सोते में नथ गिरी है,
उदास रौशनी है!
फीका नीला गगन है,
नहीं कोई परिंदा है,
नदी तरंग घटी है,
उदास रौशनी है!!