कविता। "मैं रूठ जाता"
सतीश "बब्बा"
आज होती माँ मेरी,
तो, मैं रूठ जाता,
पत्नी बीमार नहीं होती,
तो, मैं रूठ जाता!
बड़ी बहन पास होती,
तो, मैं रूठ जाता,
पिता होते तो भी,
मैं, मचल - मचल जाता!
माँ होती तो अपने मन की,
दूध, चावल वाली खीर बनवाता,
बहन पास होती तो आज जरूर,
कौर मुंह में डलवाता!
पत्नी स्वस्थ होती तो,
अपने मन का आराम करता,
पिता से मन माफिक,
कपड़े मँगवाता!
आज रक्षाबंधन, कजलिया,
राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस,
को, मैं रूठ जाता,
तो, मेरे लिए मिठाइयों का ढेर लग जाता!!
सतीश "बब्बा"