सतीश "बब्बा"
मेरे गाँव में पंडित जी रहते हैं,
काम - धाम नहीं कुछ करते हैं,
अण्डा, बण्डा खूब खाते हैं,
चिकन, मटन बिन नहीं रहते हैं!
पंडित की पंडिताइन,
अण्डा, चिकन करी मँगवाइन,
गाँव में खूब सोहगली खाइन,
शाकाहार पर कथा सुनाइन!
जैसे हिंदी उत्थान के लिए,
मंच पर लंबा भाषण देते हैंं,
घर जाकर अंग्रेजी झाड़ते हैं,
बेटों को अंग्रेजी स्कूल में पढा़ते हैं!
पंडित जी की तोंद है भारी,
आलमारी से विदेशी शराब निकाली,
गट - गट कर सब कर दी खाली,
कथा सुनाते देते नहीं गाली!
उत्तमोत्तम पंडित शादी को आते,
उनके ही बेटे को पसंद है करते,
दौलत देखकर सब हैं मरते,
ऊपरी ढोंग हैं सब पंडित जी करते!