सतीश "बब्बा"
जो मरना चाहते हैं,
उन्हें मौत नहीं है,
जो जीना चाहते हैं,
उन्हें जीने के लिए साँसें नहीं हैं!
जिसके पास दाँत हैं,
उसके पास चने नहीं हैं,
जिसके पास चने हैं,
उसके पास दाँत नहीं हैं!
अजब खेल है कुदरत का,
गजब हाल है दुनिया का,
बहुत सुंदर गबरू जवान,
मोहताज है एक फाँके का!
कुदरत का करिश्मा देखो,
लार बहती, देखकर घिन लगती है,
बोलने का सहूर नहीं है,
वह रुपयों की ढेरी में बैठा है!
अर्ध पागल है धन को ढेलता है,
फिर भी दौलत, दौड़ती चली आती है,
उसके पास जो उपेक्षा उसकी करता है,
कैसा अजब तमाशा दुनिया का है!!
सतीश "बब्बा"