सतीश "बब्बा"
कोई चमत्कार नहीं होता,
किस्मत किसी का साथ नहीं देता,
सब अपने पंजों के बलपर होता,
बुद्धि से काम लो भगवान नहीं होता!
सब मनगढ़न्त कहानियों के बल पर,
अंधभक्त, अंधभक्ति की दुकान चलाते हैं,
धर्मांधता फैलाकर राज करते हैं,
किसी मंदिर में भगवान नहीं रहते हैं!
कोई भगवान कुछ नहीं करता,
अपनी ताकत ही सब होता,
अपने कर्म खुद मनुष्य रचता,
पत्थर के मंदिर में पत्थर की मूरत होता!
बिना कुछ किए भोजन नहीं मिलता,
किसी पत्थर की मूरत में चमत्कार नहीं होता,
कोई पत्थर का भगवान वरदान नहीं देता,
धर्म की आड़ में सब अपनी दुकान चलाता!
कोई बता दे सच कि, मेरे साथ चमत्कार हुआ है,
किसी देवता से दीदार हुआ है,
कोई पत्थर की मूरत बोली है,
सब झूठ का पुलिंदा है!
माँ बाप की परछाई से नफरत न करो यारो,
जीते जागते देवताओं को न छलो यारो,
वह सब कुछ तो देते हैं वरदान यही तो है यारो,
जब चले जाते हैं तब मुलाकात नहीं होगी यारो!!