सतीश "बब्बा"
एहसानमंद होना चाहिए,
भगवान को मनुष्य पर,
कृष्ण ने यशोदा जैसी मां को,
छोड़ दिया था चौथेपन पर!
वह राम जिसे मनुष्य ने,
यह बेचारे साधु - सन्तों ने,
बना दिया मर्यादा पुरुषोत्तम,
उसके काम कौन से उत्तम!
जिसने भाई से भाई को लड़ाया,
बालि जैसे भक्त को मार गिराया,
क्यों नहीं उन दोनों भाइयों को,
पंचायत करके मिलाया!
निर्दोष जानकी को ठुकराया,
फिर भी मर्यादा पुरुषोत्तम कहाया,
उसने गरीब भक्तों का,
एहसान तक नहीं जताया!
एहसान क्या राम राम रटते रहे,
पूरा जीवन सौंप दिया फिर भी,
एक झलक तक नहीं दिखाया,
वह मरा व्यक्ति भगवान कहाया!!
सतीश "बब्बा"