कविता। "दिल की बातें"
सतीश "बब्बा"
अब कैसे लिखें दिल की बातें,
गाँव में हुई गुजरी बातें,
वह भादों वाली डरावनी रातें,
नदी का निर्मल पानी, बापू की बातें!
गिल्ला, मोगरा, छक्का की बातें,
भैंस के दूध की मोटी मलाई, माँ की बातें,
पढ़ने जाकर लौटें , पिता की गहरी बातें,
गाँव में वैद्य की याद आती हैं अच्छी बातें!
कविता लिखें, कहानी लिखें,
संस्मरण में लिखें बीती बातें,
अब भूल गई संकरी गलियाँ,
अब कैसे लिखें दिल की बातें!
रूक्का के संग बुक्का खेले,
भैंस चराते लसगड़िया खेले,
निश्छल मन जवानी भूले,
रिश्ते की मर्यादा में लुका - छिपी खेले!
अब कैसे लिखें दिल की बातें,
पहले वाला गाँव नहीं है,
भरी हैं दिल में गंदी बातें,
कटती नहीं अब गाँव की रातें!!
सतीश "बब्बा"