कविता। "मीठी तान"
सतीश "बब्बा"
कैसे गाऊँ मीठी तान,
कुत्ते हो गए सब बेईमान,
इमली में फलते नाक और कान,
मुर्दे में आगयी है जान!
मुखिया बहुत बड़बोले बोले,
करते नहीं हैं एक भी काम,
गदहा गाते मीठा तान,
कैसे गाऊँ मीठी तान!
शिक्षा से सब हो रहे दूर,
पैसे वालों की है हर तान,
खाली पड़े सभी विभाग,
कैसे गाऊँ मीठी तान!
शहीद की वीवी है परेशान,
गद्दारों की बड़ी जमात,
बकरा पकड़े सबके कान,
कैसे गाऊँ मीठी तान!
ईमानदार हैं परेशान,
मालामाल हुए बेईमान,
बाड़ चर गई पूरा धान,
कैसे गाऊँ मीठी तान!!
सतीश "बब्बा"