सतीश "बब्बा"
नशा मुक्ति की बातें करते,
क्या कभी मुक्त हो पाएंगे,
पहले मिलती थी वारुणी,
हाटों और बाजारों में!
अब गाँव - गाँव, गली - गली में,
शासन कहता दस पीस रख लो,
झूम - झूमकर पिओ सब कोई,
नशे के अलावा कोई बात न होई!
प्लास्टिक में रोक लगाते हैं,
गरीबों को बहुत सताते हैं,
प्लास्टिक की कंपनियों से,
चंदा खूब खूब कमाते हैं!
नीयत साफ नहीं यारो,
सरकारी मास्टर से करवाते हैं,
बाल गणना, पशु गणना आदि,
सबके भविष्य से खिलवाड़ करते हैं!
नशा मुक्ति, प्लास्टिक मुक्ति,
शिक्षा पर लंबा भाषण देते हैं,
हिंदी उत्थान के लिए बजट बनाते हैं,
अपने बच्चों को अंग्रेजी सिखाते हैं
सतीश "बब्बा"