कविता। "यह दुनिया"
सतीश "बब्बा"
यह दुनिया आनी - जानी है,
एक दिन हम भी चले जाएंगे,
कभी हँसेंगे, कभी रोएंगे,
पर लौटकर नहीं आएंगे!
मैं तो दिख जाऊँगा,
किताबों के पन्नों में,
कविता अरू गीतों में,
कहानी, संस्मरणों में!
बस यही है मेरी कहानी,
रह जाएगी जबानी,
कभी नदियों के धारा में,
कभी अग्नि की लपटों में!
बहा ले जाएगा पानी,
छूट जाएगा दाना - पानी,
हम करते रहे बेईमानी,
यह दुनिया आनी - जानी!
सिर धुन - धुन कर पछताना है,
एक दिन सच में जल जाना है,
सच में इस जीवन का,
नहीं कोई ठिकाना है!!