सतीश "बब्बा"
जाने को तो सब जाएंगे,
पर मेरी तरह कौन जाएंगे,
कोई मालामाल जाएंगे,
कोई भी नहीं कंगाल जाएंगे!
मैं तो बस खाली हाथ जाऊँगा,
मेरे घर में भी कुछ नहीं होगा,
कागज, किताबों का बंडल होगा,
लोगों के नजरों का धोखा होगा!
मेरी रचना अमिट होगी,
मेरा नाम नहीं जाएगा,
यह तन तो जल जाएगा,
नाम नहीं जल पाएगा!
लोगों के घर भीड़ जुटेगी,
मेरा घर सूना होगा,
सबकी मैयत उठ जाएगी,
मेरी मैयत गुमसुम होगी!
सब के रोने वाले होंगे,
मेरे लिए कुछ ठहाके होंगे,
हाँ, कभी किताबों में मेरे,
दिल से रोने वाले होंगे!!
सतीश "बब्बा"