कविता। "कवि नहीं बनना"
सतीश "बब्बा"
ऐ मेरे देश के होनहार बच्चों,
कवि मत बनना कह जाता तुमको,
लोग कहेंगे पागल तुमको,
कोई नहीं इज्जत देगा तुमको!
जब कोई कविता बन जाएगी,
मन में खुशी तुम्हारे आएगी,
तुम अपने - आप में मुस्काओगे,
लोग शक में लड़ने लगेंगे!
तुम अच्छी बातें करोगे,
लोग नहीं तुमको समझेंगे,
नेता भी तुम पर गुर्राएंगे,
सरकारी सहायता नहीं पाएंगे!
पूरा जीवन अभाव में बीतेगा,
पास में धेला नहीं रहेगा,
कफन चंदा में आएगा,
अंतिम यात्रा में कोई नहीं रोएगा!
दूसरे के कंधे में जाओगे,
चार कवि चैट करेंगे,
कोई स्टीकर में दुख व्यक्त करेंगे,
कोई चंद फूल चढ़ाकर जाएंगे!!
सतीश "बब्बा"