कविता। "उड़ते पक्षी से सीखो"
सतीश "बब्बा"
उड़ते पक्षी से सीखो,
दाना चुग कर उड़ जाना,
पकड़कर नहीं बैठते हैं वह,
कहते हैं, थोड़ा - थोड़ा खाना!
उड़ते पक्षी से सीखो,
साँझ हुई घर को आना,
पूरी रात घर में रहना,
सुबह - सबेरे उठ जाना!
उड़ते पक्षी से सीखो,
बच्चों को प्यार सिखाना,
दाना - पानी उनको देना,
पंख हुए उड़ जाना!
उड़ते पक्षी से सीखो,
दिन भर मेहनत करना,
अपने परिजनों, प्रजाति से,
हंसना और हँसाना!
उड़ते पक्षी से सीखो,
अपना दाना खाना,
बीमारी में भूखे रहना,
उड़ते, हंसते मर जाना!!