श्री हरि विष्णु के मोहिनी रूप की ऐतिहासिक कहानी और महिमा
श्री हरि विष्णु के मोहिनी रूप की कथा का उल्लेख पुराणों में विशेषकर भागवत पुराण और विष्णु पुराण में मिलता है। यह कहानी देवों और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है।
मोहिनी रूप की कहानी:
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समुद्र मंथन और अमृत की प्राप्ति:
- देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया। इस मंथन में 14 रत्न निकले, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण अमृत था।
- जैसे ही अमृत निकला, असुरों ने उसे अपने कब्जे में ले लिया और अमृतपान के लिए झगड़ा करने लगे।
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विष्णु का मोहिनी रूप धारण करना:
- देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी।
- भगवान विष्णु ने मोहिनी नामक स्त्री का रूप धारण किया। मोहिनी का स्वरूप अत्यंत सुंदर और मोहक था।
- मोहिनी ने अपनी सुंदरता और चतुराई से असुरों को भ्रमित कर दिया और कहा कि वह अमृत को समान रूप से बांट देंगी।
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देवताओं को अमृतपान कराना:
- मोहिनी ने अमृत को लेकर ऐसा विभाजन किया कि अमृत केवल देवताओं को ही प्राप्त हुआ।
- असुर मोहिनी के सौंदर्य से मोहित होकर उनके इस छल को समझ नहीं पाए।
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राहु-केतु का जन्म:
- जब एक असुर, स्वर्भानु, ने छल से अमृतपान करने की कोशिश की, तो भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर और धड़ अलग कर दिया।
- उसका सिर राहु और धड़ केतु के रूप में स्थापित हुआ।
मोहिनी की महिमा:
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माया और मोहित करने की शक्ति:
- भगवान विष्णु का मोहिनी रूप इस बात का प्रतीक है कि वे माया और मोह के माध्यम से किसी भी परिस्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं।
- उनकी माया से बड़े-बड़े बलवान भी मोहित हो जाते हैं।
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असुरों पर विजय:
- मोहिनी रूप भगवान विष्णु की कुशलता और चतुराई को दर्शाता है। उन्होंने बिना युद्ध किए देवताओं की विजय सुनिश्चित की।
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श्री विष्णु की अद्वितीयता:
- भगवान विष्णु का यह रूप उनके बहुआयामी स्वरूप को दर्शाता है। वे केवल युद्ध में ही नहीं, बल्कि चातुर्य से भी संसार की रक्षा करते हैं।
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संदेश:
- मोहिनी रूप की कथा यह संदेश देती है कि सच्चाई और धर्म की विजय हमेशा होती है, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।
मोहिनी का अन्य प्रसंग:
मोहिनी का एक और महत्वपूर्ण प्रसंग भगवान शिव से जुड़ा है। भगवान शिव ने मोहिनी रूप में भगवान विष्णु का दर्शन किया और उनकी इस रूप की प्रशंसा की। इस घटना से शिव और विष्णु के संबंध और भी गहरे हो गए।
पूजा और महिमा:
- भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा कुछ खास अवसरों पर की जाती है।
- यह रूप भक्तों को यह प्रेरणा देता है कि संकट में धैर्य और चतुराई से काम लेना चाहिए।
यह कथा धर्म, सत्य, और चातुर्य की महत्ता को उजागर करती है और श्री हरि विष्णु की लीला को प्रमाणित करती है।