माता वैष्णो देवी की कथा हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और यह जम्मू और कश्मीर के कटरा में स्थित है। माना जाता है कि माता वैष्णो देवी का मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी पूजा भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर से लोग करते हैं।
ऐतिहासिक कहानी:
माता वैष्णो देवी का जन्म त्रेतायुग में हुआ था। एक दिन माता ने योगी भगवान शिव की उपासना की और उनसे वरदान प्राप्त किया कि वे सदा उनके साथ रहेंगी। इसके बाद माता वैष्णो देवी ने अपने भक्तों के कल्याण के लिए कई रूपों में अपनी उपस्थिति दी।
वह बाल रूप में एक संत के रूप में प्रकट हुईं और कटरा के पास एक गुफा में निवास करने लगीं। एक दिन राक्षसों के राजा "भैरव" ने माता के तपस्या के स्थान को जान लिया और उन्हें मारने का प्रयास किया। तब माता ने भैरव को अपनी शक्ति से हराया और उसे उसकी अधूरी इच्छाओं का फल दिया।
माता वैष्णो देवी ने 9 महीने की तपस्या के बाद, एक गुफा में समाहित होकर अपनी उपस्थिति समाप्त कर दी। उस गुफा के अंदर तीन प्राकृतिक शिवलिंग हैं, जो माता के तीन रूपों – महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का प्रतीक माने जाते हैं।
महिमा:
माता वैष्णो देवी की महिमा अत्यधिक प्रसिद्ध है, और उन्हें शक्ति की प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। भक्तों का विश्वास है कि माता के दर्शन से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और रोगों से मुक्ति मिलती है। वह अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं और उनकी जीवन की हर बाधा को दूर करती हैं।
वैष्णो देवी की पूजा विशेष रूप से निर्भीकता, श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है। हर साल लाखों श्रद्धालु माता के दरबार में आते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।