माता अन्नपूर्णा, जिन्हें देवी अन्नपूर्णा या अन्नपूर्णेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में अन्न और पोषण की देवी हैं। उनका नाम दो शब्दों से मिलकर बना है: 'अन्न' (भोजन) और 'पूर्णा' (पूर्णता)। उन्हें माता पार्वती का रूप माना जाता है और वे समृद्धि, पोषण और भोजन की देवी के रूप में पूजी जाती हैं। उनकी कथा और महिमा का वर्णन पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
माता अन्नपूर्णा की ऐतिहासिक कहानी:
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काशी (वाराणसी) की कथा: माता अन्नपूर्णा का मुख्य मंदिर काशी (वाराणसी) में स्थित है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने देवी पार्वती से कहा कि यह संसार मात्र एक माया है और भोजन का भी कोई विशेष महत्व नहीं है। इस पर देवी पार्वती नाराज हो गईं और उन्होंने अन्न का वितरण रोक दिया। इससे पृथ्वी पर भयंकर अकाल पड़ गया और लोग भूख से तड़पने लगे।
तब भगवान शिव ने महसूस किया कि भोजन ही जीवन का आधार है और वे देवी पार्वती के पास क्षमा मांगने गए। प्रसन्न होकर माता पार्वती ने अन्न का वितरण फिर से शुरू किया और संसार को यह संदेश दिया कि भोजन का महत्व सभी जीवों के लिए अनमोल है। तभी से देवी अन्नपूर्णा को अन्न और पोषण की देवी के रूप में पूजा जाने लगा।
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अन्नपूर्णा और भगवान शिव: इस कथा में बताया गया है कि माता अन्नपूर्णा अपने भक्तों को भोजन और ज्ञान दोनों प्रदान करती हैं। उन्हें "जगदंबा" (संपूर्ण सृष्टि की माता) भी कहा जाता है। भगवान शिव स्वयं भी उनके भक्त माने जाते हैं और जब वे भिक्षा मांगते हैं, तो माता अन्नपूर्णा ही उन्हें अन्न प्रदान करती हैं।
महिमा:
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पोषण की देवी: माता अन्नपूर्णा को इस सृष्टि में सभी प्राणियों का पालन-पोषण करने वाली देवी माना जाता है। उनके बिना जीवों का जीवन संभव नहीं है।
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आध्यात्मिक महत्व: माता अन्नपूर्णा का पूजन केवल भौतिक भोजन के लिए नहीं, बल्कि आत्मिक और मानसिक पोषण के लिए भी किया जाता है। वे ज्ञान और साधना का प्रतीक हैं।
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भंडार और दान: उनकी कृपा से भक्तों को कभी भी भोजन की कमी नहीं होती। उनकी मूर्तियों और चित्रों में वे हाथ में अन्नपूर्णा पात्र (भोजन से भरा पात्र) लिए हुए दिखाई देती हैं, जो यह दर्शाता है कि वे हर किसी को बिना भेदभाव के भोजन प्रदान करती हैं।
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काशी की महिमा: वाराणसी में स्थित अन्नपूर्णा मंदिर को अन्नपूर्णा देवी की महिमा का प्रमुख स्थान माना जाता है। यह मान्यता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में माता के दर्शन करता है, उसे जीवन में कभी भी भोजन और संपत्ति की कमी नहीं होती।
आराधना और पर्व:
- माता अन्नपूर्णा की आराधना विशेष रूप से दीपावली और अक्षय तृतीया जैसे पर्वों पर की जाती है।
- अन्नपूर्णा देवी के मंत्र और स्तुति पाठ करने से जीवन में समृद्धि और शांति आती है।
- उनकी आरती में गाया जाता है:
"अन्नपूर्णा सदापूर्णा, शंकरप्राण वल्लभे।
ज्ञान वैराग्य सिद्ध्यर्थं, भिक्षां देहि च पार्वती।"
संदेश:
माता अन्नपूर्णा का जीवन और उनकी कथा यह सिखाती है कि भोजन का महत्व केवल शरीर को पोषण देने के लिए नहीं है, बल्कि यह सृष्टि के संतुलन को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है। उनकी आराधना से मनुष्य में दान और करुणा की भावना जागृत होती है।