सिंड्रेला की कहानी एक प्रसिद्ध परीकथा है जो अच्छाई, दृढ़ता और भाग्य की जीत को दर्शाती है। इसकी मुख्य कहानी इस प्रकार है:
कहानी का सारांश:
एक समय की बात है, एक प्यारी लड़की थी जिसका नाम सिंड्रेला था। उसके माता-पिता की मृत्यु के बाद, उसकी सौतेली माँ और दो सौतेली बहनों ने उसे घर का नौकर बना दिया। वे उसे सुंदर कपड़े पहनने नहीं देती थीं और हमेशा उसके साथ बुरा व्यवहार करती थीं।
राजकुमार का भोज:
एक दिन, राजा ने अपने पुत्र के लिए एक भव्य भोज का आयोजन किया और राज्य की सभी युवतियों को आमंत्रित किया। सौतेली बहनें खुशी-खुशी तैयार हुईं, लेकिन उन्होंने सिंड्रेला को घर पर ही रहने के लिए मजबूर कर दिया।
परी गॉडमदर की सहायता:
सिंड्रेला दुखी होकर रो रही थी, तभी उसकी परी गॉडमदर प्रकट हुई। उसने जादू से सिंड्रेला को एक सुंदर गाउन, कांच की जूती और घोड़े के रथ में महल जाने के लिए तैयार किया। लेकिन उसने चेतावनी दी कि जादू केवल आधी रात तक रहेगा।
महल में:
महल में, सिंड्रेला ने अपनी सुंदरता और विनम्रता से सबका दिल जीत लिया। राजकुमार ने केवल उसके साथ नृत्य किया और उसे बहुत पसंद किया। लेकिन जैसे ही घड़ी ने बारह बजाए, सिंड्रेला को वहां से भागना पड़ा। भागते समय, उसकी एक कांच की जूती गिर गई।
जूती से पहचान:
राजकुमार ने घोषणा की कि वह उस लड़की से विवाह करेगा जिसके पैर में वह जूती फिट होगी। सभी लड़कियों ने कोशिश की, लेकिन जूती किसी के पैर में नहीं आई। अंत में, सिंड्रेला को बुलाया गया। जूती उसके पैर में पूरी तरह फिट हुई।
सुखद अंत:
राजकुमार ने सिंड्रेला से विवाह किया, और वे खुशी-खुशी रहने लगे। सौतेली माँ और बहनों को उनके बुरे व्यवहार का परिणाम भुगतना पड़ा।
नैतिक शिक्षा:
- अच्छाई और धैर्य का फल हमेशा मीठा होता है।
- बुरा व्यवहार करने वाले लोग अंत में पछताते हैं।
यह कहानी बच्चों और बड़ों को समान रूप से प्रेरित करती है।