देव वैद्य धनवंतरी की ऐतिहासिक कहानी एवं महिमा
देव वैद्य धनवंतरी भारतीय पौराणिक कथाओं में आयुर्वेद के देवता माने जाते हैं। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जो संसार को रोगों से मुक्त करने और आयुर्वेद का ज्ञान देने के लिए प्रकट हुए थे।
अवतरण की कथा
धनवंतरी का अवतरण समुद्र मंथन की पौराणिक घटना से जुड़ा है। जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र का मंथन किया, तब उसमें से 14 रत्न निकले। उन्हीं में से एक धनवंतरी थे, जो अमृत कलश लेकर प्रकट हुए।
धनवंतरी का प्राकट्य देवताओं और असुरों के बीच अमृत प्राप्ति के संघर्ष को समाप्त करने के लिए हुआ। उनका मुख्य उद्देश्य था संसार में स्वास्थ्य, चिकित्सा और जीवन के विज्ञान (आयुर्वेद) का प्रसार करना।
महिमा और योगदान
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आयुर्वेद के जनक: धनवंतरी को आयुर्वेद का जनक माना जाता है। उन्होंने मनुष्य को रोगों से मुक्त करने और दीर्घायु प्रदान करने के लिए चिकित्सा पद्धतियों का ज्ञान दिया।
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आयुर्वेदिक ग्रंथ: धनवंतरी ने चिकित्सा और औषधियों के प्रयोग का विस्तृत ज्ञान दिया। उन्होंने जड़ी-बूटियों और औषधियों का महत्व समझाया।
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स्वास्थ्य के प्रतीक: धनवंतरी स्वास्थ्य, जीवन और दीर्घायु के प्रतीक हैं। उनकी पूजा विशेष रूप से धनतेरस (दीपावली के पहले दिन) पर की जाती है। माना जाता है कि उनकी पूजा करने से आरोग्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
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चिकित्सा का मूलभूत सिद्धांत: उन्होंने रोगों के उपचार के लिए त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) और पंचमहाभूत (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया।
धनवंतरी जयंती
धनतेरस के दिन को धनवंतरी जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह दिन स्वास्थ्य, समृद्धि और चिकित्सा क्षेत्र में उनके योगदान को सम्मानित करने का है।
संदेश
देव वैद्य धनवंतरी हमें सिखाते हैं कि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है। उनका आदर्श है कि रोगों से मुक्ति और दीर्घायु का रास्ता प्राकृतिक उपचार, संतुलित जीवनशैली और आयुर्वेद से होकर जाता है।
इस प्रकार धनवंतरी भारतीय संस्कृति में न केवल एक देवता हैं, बल्कि स्वास्थ्य और चिकित्सा के प्रतीक भी हैं।