बाबा बैद्यनाथ धाम, जिसे देवघर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के झारखंड राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिन्दू धर्म में इसका अत्यंत धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। इसकी कहानी और महत्व इस प्रकार है:
ऐतिहासिक कहानी:
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रावण की तपस्या और शिवलिंग का स्थापना:
पौराणिक कथा के अनुसार, रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर, शिव ने रावण को एक शिवलिंग (ज्योतिर्लिंग) दिया और कहा कि इसे ले जाकर अपने राज्य लंका में स्थापित करें। शिव ने यह भी निर्देश दिया कि शिवलिंग को कहीं भी जमीन पर न रखें।
रास्ते में, रावण ने देवताओं की चाल से शिवलिंग को देवघर में रख दिया, और यह वहीं स्थापित हो गया। इसे बैद्यनाथ धाम के रूप में पूजा जाता है। -
रामायण और शिव भक्ति:
एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान राम ने भी सीता की खोज में जाते समय यहां पूजा की थी। इस वजह से यह स्थान भगवान राम और शिव भक्तों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
धार्मिक महत्व:
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ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ:
बाबा बैद्यनाथ धाम न केवल एक ज्योतिर्लिंग है, बल्कि इसे शक्तिपीठ भी माना जाता है। माना जाता है कि माता सती का दिल इसी स्थान पर गिरा था। -
श्रावण मास का महत्व:
श्रावण मास में लाखों श्रद्धालु "कांवड़ यात्रा" करके गंगा जल लाते हैं और बाबा बैद्यनाथ को अर्पित करते हैं। इस दौरान देवघर में एक विशाल मेले का आयोजन होता है। -
संकल्प सिद्धि स्थान:
यह माना जाता है कि यहां सच्चे मन से प्रार्थना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आधुनिक महत्व:
- बाबा बैद्यनाथ धाम धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान है।
- यह स्थान सालभर लाखों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है, जो झारखंड के पर्यटन को भी बढ़ावा देता है।
स्थापत्य और पूजा विधि:
बाबा बैद्यनाथ का मंदिर नागर शैली में निर्मित है। यहां शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, और गंगाजल चढ़ाने की परंपरा है।
निष्कर्ष:
बाबा बैद्यनाथ धाम का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी है। यह स्थान न केवल शिव भक्तों के लिए पूजनीय है, बल्कि इसकी पौराणिक कहानियां भारतीय संस्कृति और इतिहास को समृद्ध करती हैं।