बेटियां और समाज
बेटियां समाज का अनमोल उपहार हैं। वे जीवन में खुशियां, संतुलन और प्रेरणा लाती हैं। भारतीय संस्कृति में बेटियों को लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा का स्वरूप माना गया है। फिर भी, लंबे समय से समाज में बेटियों के प्रति असमानता और भेदभाव का व्यवहार देखा गया है।
प्राचीन काल में बेटियां परिवार का गौरव मानी जाती थीं, लेकिन समय के साथ उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। दहेज प्रथा, बाल विवाह, और शिक्षा से वंचित रखना जैसी सामाजिक कुरीतियों ने बेटियों की प्रगति में बाधा डाली। इन अन्यायपूर्ण परंपराओं ने न केवल उनके अधिकार छीने बल्कि समाज को भी पीछे धकेल दिया।
हालांकि, समय बदल रहा है। अब बेटियां शिक्षा, खेल, राजनीति, विज्ञान, और कला जैसे हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रही हैं। कल्पना चावला, सानिया मिर्जा, किरण बेदी, और मलाला यूसुफजई जैसे उदाहरण यह दिखाते हैं कि जब बेटियों को अवसर मिलता है, तो वे क्या-क्या हासिल कर सकती हैं।
समाज का कर्तव्य है कि बेटियों को समान अधिकार और सम्मान दे। उन्हें शिक्षा और स्वच्छंदता का अधिकार मिलना चाहिए ताकि वे अपने सपनों को साकार कर सकें। बेटियों को सुरक्षित और सशक्त बनाने के लिए हमें अपनी सोच बदलनी होगी।
यह भी महत्वपूर्ण है कि बेटियों के महत्व को समझा जाए और उन्हें समाज में बराबरी का स्थान दिया जाए। जब बेटियां सशक्त होंगी, तब समाज प्रगति करेगा और एक बेहतर भविष्य की नींव रखी जाएगी।
"बेटियां केवल घर की नहीं, पूरे समाज की रौशनी हैं।"