शेयर बाजार में कैंडलस्टिक ग्राफ का उपयोग यह दिखाने के लिए किया जाता है कि एक स्टॉक की कीमत समय के साथ कैसे बदलती है। हर कैंडल एक विशेष समय अवधि (जैसे 1 मिनट, 1 दिन, 1 हफ्ता आदि) की ओपन, हाई, लो, और क्लोज कीमतों को दर्शाती है।
कैंडल का रंग और संरचना
- ग्रीन कैंडल (बुलिश कैंडल):
- जब स्टॉक की कीमत क्लोजिंग (अंतिम) कीमत ओपनिंग (शुरुआती) कीमत से अधिक हो, तो कैंडल ग्रीन होती है।
- यह दर्शाता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ी है और बुल मार्केट (खरीदारों का दबदबा) का संकेत देता है।
- रेड कैंडल (बियरिश कैंडल):
- जब स्टॉक की क्लोजिंग कीमत ओपनिंग कीमत से कम हो, तो कैंडल रेड होती है।
- यह संकेत देता है कि स्टॉक की कीमत गिरी है और बियर मार्केट (बेचने वालों का दबदबा) का प्रतीक है।
कैंडल की संरचना:
- बॉडी: यह कैंडल का मुख्य हिस्सा है और ओपन और क्लोज कीमत के बीच के अंतर को दिखाता है।
- विक्स/शैडो: कैंडल के ऊपर और नीचे की पतली रेखाएं दिन के उच्चतम (High) और न्यूनतम (Low) मूल्य को दर्शाती हैं।
- ऊपरी विक्स: उच्चतम कीमत।
- निचली विक्स: न्यूनतम कीमत।
बुल और बियर मार्केट:
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बुलिश ट्रेंड:
- ग्रीन कैंडल्स की एक श्रृंखला यह दिखाती है कि बाजार में खरीदारी का दबाव है, और स्टॉक ऊपर जा रहा है।
- निवेशक उम्मीद करते हैं कि कीमत और बढ़ेगी।
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बियरिश ट्रेंड:
- रेड कैंडल्स की एक श्रृंखला यह दिखाती है कि बाजार में बिकवाली का दबाव है, और स्टॉक गिर रहा है।
- निवेशक डरते हैं कि कीमत और गिरेगी।
उदाहरण:
- यदि ग्रीन कैंडल लगातार बन रही हैं, तो यह बुल मार्केट का संकेत है।
- यदि रेड कैंडल लगातार बन रही हैं, तो यह बियर मार्केट का संकेत है।
चार्ट को पढ़ने का आसान तरीका:
- जब ग्रीन कैंडल्स अधिक हों, तो इसका मतलब है कि मांग ज्यादा है और कीमत बढ़ने की संभावना है।
- जब रेड कैंडल्स ज्यादा हों, तो इसका मतलब है कि आपूर्ति अधिक है और कीमत घटने की संभावना है।
कैंडल ग्राफ को देखकर आप आसानी से बाजार की दिशा (ट्रेंड) को समझ सकते हैं और सही निवेश निर्णय ले सकते हैं।