लैला-मजनू की प्रेम कहानी भारतीय और मध्य एशियाई साहित्य में अमर प्रेम की एक मिसाल मानी जाती है। यह कहानी प्रेम, त्याग और सामाजिक बंधनों के खिलाफ विद्रोह की कहानी है। लैला-मजनू की कथा कई भाषाओं और संस्कृतियों में अलग-अलग रूपों में प्रचलित है।
कहानी का सारांश:
लैला और मजनू (जिनका असली नाम कैस था) अरब के दो अलग-अलग कबीले के थे। लैला की खूबसूरती पर कैस मोहित हो गए और वह उसे दिलो-जान से चाहने लगे। लेकिन लैला का परिवार उनके इस प्रेम के खिलाफ था। जब लैला के परिवार को उनके प्रेम का पता चला, तो उन्होंने लैला और कैस को अलग कर दिया।
कैस के पागलपन भरे प्रेम के कारण लोग उसे "मजनू" कहने लगे, जिसका अर्थ है "पागल"। लैला को उसके परिवार ने जबरदस्ती किसी और से शादी करा दी। इस प्रेम विरह के चलते मजनू जंगलों में भटकने लगा।
आखिरकार, लैला और मजनू दोनों की प्रेम-विरह में मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि उनकी मृत्यु के बाद भी वे अमर हो गए और उनकी कब्रें आज भी प्रेम के प्रतीक के रूप में देखी जाती हैं।
प्रेम का प्रतीक:
यह कहानी दर्शाती है कि सच्चा प्रेम किसी भी परिस्थिति में झुकता नहीं है। लैला-मजनू की प्रेम कहानी को साहित्य, कला और सिनेमा में भी अमर कर दिया गया है।
संदेश:
लैला-मजनू की कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा प्रेम हर बाधा को पार कर सकता है, भले ही इसके लिए बड़ा त्याग करना पड़े।