यह पंक्ति गहरी दार्शनिक और प्रेरणादायक विचार प्रस्तुत करती है। इसका अर्थ है कि यदि मनुष्य अपने जीवन में अभाव (कमी या चाहत) को महसूस करना ही छोड़ दे, तो उसे कभी अभाव का अनुभव नहीं होगा।
विस्तृत व्याख्या:
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संतोष का महत्व:
यह विचार हमें यह सिखाता है कि मनुष्य के जीवन में संतोष सबसे महत्वपूर्ण है। यदि हम जो हमारे पास है उसी में संतुष्ट रहें, तो अभाव की भावना नहीं रहेगी। -
अधिकार और इच्छाओं का नियंत्रण:
जब हम अपनी इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं पर नियंत्रण रखना सीख लेते हैं, तो अभाव जैसी स्थिति का अंत हो जाता है। -
मन की स्थिति:
वास्तविक अभाव वस्तुतः बाहरी परिस्थितियों में नहीं, बल्कि हमारे मन में होता है। यदि हम अपने मन को अभाव से मुक्त कर लें, तो जीवन में किसी प्रकार की कमी नहीं रहेगी।
यह पंक्ति हमें इस बात की ओर प्रेरित करती है कि खुशी और पूर्णता हमारी सोच और दृष्टिकोण में है, न कि भौतिक वस्तुओं या परिस्थितियों में।