बाबा नागार्जुन ज्योतिर्लिंग का उल्लेख हिंदू धर्म के पुराणों और शास्त्रों में विशेष स्थान रखता है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसकी ऐतिहासिक कहानी और महिमा श्रद्धालुओं को अध्यात्म की गहराइयों में डुबो देती है।
ऐतिहासिक कहानी
बाबा नागार्जुन ज्योतिर्लिंग का संबंध त्रेतायुग और द्वापरयुग से बताया जाता है। इसकी पौराणिक कथा के अनुसार, यहाँ भगवान शिव ने दैत्यों के अत्याचार से पीड़ित भक्तों को मुक्त किया। यह माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव ने नाग (सर्प) रूप धारण कर अपने भक्तों की रक्षा की थी। इसलिए इसे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है।
कथा के अनुसार, एक समय में दारुक नाम का असुर अपनी पत्नी के साथ भक्तों को सताता था। उसने जंगल में एक बड़ा राज्य स्थापित किया था और शिवभक्तों को कैद कर लिया था। इन भक्तों की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव प्रकट हुए और दारुक का वध किया। इसके बाद शिव ने वहाँ ज्योतिर्लिंग रूप में विराजमान होने का वरदान दिया।
महिमा
- सर्पों के स्वामी: बाबा नागार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से भक्तों को सर्प भय से मुक्ति मिलती है। यह विशेष रूप से कालसर्प दोष निवारण के लिए प्रसिद्ध है।
- मोक्ष प्रदान करने वाला: ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन से जीवन के पाप समाप्त होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- अध्यात्मिक शक्ति का केंद्र: यहाँ ध्यान करने से मानसिक शांति और अध्यात्मिक उन्नति होती है।
स्थल और वर्तमान समय
यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका के पास द्वारकाधीश मंदिर से लगभग 17 किमी दूर नागेश्वर क्षेत्र में स्थित है। यहाँ एक भव्य शिवलिंग और विशाल शिव मूर्ति देखने को मिलती है।
श्रावण मास और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
संदेश: बाबा नागार्जुन ज्योतिर्लिंग की आराधना से मनुष्य के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह धार्मिक स्थल शिवभक्तों के लिए अनन्य आस्था का केंद्र है।