सीता को खोजते - खोजते राम एवं लक्ष्मण वहां पहुंचे जहां जटायु घायल पड़ा हुआ था। जटायु की पुकार पर राम जटायु के पास पहुंचे तो जटायु ने रावण द्वारा सीता अपहरण का समाचार राम को दिया।राम ने जटायु जी को अपनी गोद में लेकर बोले," हे पक्षीराज! आपने मेरे लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया।"
इसपर जटायु बोले," प्रभु ! आप मेरी चिंता छोड़कर देवी सीता मैया को उस दुष्ट राक्षस से बचाइए। दुष्ट रावण उन्हें आकाश मार्ग से दक्षिण दिशा की ओर ले गया है। वहां समुद्र के बीच सोने की लंका है।वह वहां का राजा है। वह सीता को वहीं ले गया होगा।" यह कहते कहते श्रीरामजी के गोेद में हीं जटायु ने प्राण त्याग दिए। श्रीराम ने अपने हाथों से जटायु का अंतिम संस्कार किया और दक्षिण दिशा की ओर चल दिए।