महर्षि वशिष्ठ भारत के प्राचीन ऋषियों में से एक थे और उन्हें सप्तर्षियों में स्थान प्राप्त है। वे एक महान ब्रह्मज्ञानी, तपस्वी और विद्वान थे, जिनका उल्लेख वेदों, पुराणों और महाकाव्यों में मिलता है। महर्षि वशिष्ठ को सत्य, धर्म और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। उनकी ऐतिहासिक कहानी और महिमा निम्नलिखित हैं:
1. वंश एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि
- वशिष्ठ ऋषि ब्रह्मा के मानस पुत्र माने जाते हैं।
- उनकी पत्नी अरुंधति थीं, जिन्हें सतीत्व और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
- वशिष्ठ और अरुंधति की जोड़ी को वैवाहिक जीवन का आदर्श उदाहरण माना जाता है।
2. रामायण में भूमिका
- महर्षि वशिष्ठ राजा दशरथ के राजगुरु थे।
- उन्होंने भगवान राम और उनके भाइयों को शिक्षा एवं राजनीति का ज्ञान दिया।
- वशिष्ठ ने राम को धर्म, मर्यादा और कर्तव्य का महत्व सिखाया, जो बाद में उनके जीवन का आधार बना।
3. सप्तर्षि के रूप में योगदान
- महर्षि वशिष्ठ सप्तर्षियों में से एक थे और उनका ज्ञान भारतीय संस्कृति में एक आधारशिला है।
- वे वेदों के रचयिता माने जाते हैं और ऋग्वेद के कई मंत्र उनके द्वारा रचित हैं।
- उन्होंने "योग वशिष्ठ" नामक ग्रंथ लिखा, जो ध्यान और आत्मज्ञान का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है।
4. कामधेनु और विश्वामित्र के साथ कथा
- वशिष्ठ के पास कामधेनु नाम की दिव्य गाय थी, जो इच्छित वस्तु प्रदान कर सकती थी।
- इस कारण राजा विश्वामित्र ने कामधेनु को प्राप्त करने की चेष्टा की। वशिष्ठ ने अपनी तपस्या और ब्रह्मतेज से विश्वामित्र को पराजित कर दिया।
- इस घटना ने विश्वामित्र को ब्रह्मर्षि बनने के लिए प्रेरित किया।
5. महिमा
- वशिष्ठ को सत्य और धर्म के मार्गदर्शक के रूप में देखा जाता है।
- उनकी शिक्षाएं व्यक्ति को आत्मज्ञान और ईश्वर से जुड़ने का मार्ग दिखाती हैं।
- उन्होंने संसार को यह सिखाया कि तपस्या और सत्य से सभी कठिनाइयों का समाधान किया जा सकता है।
6. योग वशिष्ठ
- "योग वशिष्ठ" में आत्मा, माया, संसार और मोक्ष के गूढ़ विषयों पर विचार किया गया है।
- यह ग्रंथ ध्यान और मन की शांति के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।
7. आधुनिक संदर्भ में
- महर्षि वशिष्ठ की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और व्यक्ति को नैतिकता, सत्य और कर्तव्यपालन की प्रेरणा देती हैं।
- भारतीय संस्कृति में उनकी महिमा एक आदर्श ऋषि और शिक्षक के रूप में अमिट है।
महर्षि वशिष्ठ न केवल एक ऋषि थे बल्कि धर्म, तप और ज्ञान के आदर्श स्वरूप थे। उनका जीवन और शिक्षाएं मानवता को धर्म, कर्तव्य और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।