माता मनसा की ऐतिहासिक कहानी एवं उनकी महिमा
माता मनसा हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवी हैं जिन्हें नागदेवी या नागों की देवी के रूप में पूजा जाता है। वे सांपों, विशेष रूप से नागों की देवी हैं, और उनकी पूजा विशेष रूप से पूर्वी भारत जैसे पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, बिहार और झारखंड में की जाती है।
माता मनसा की ऐतिहासिक कहानी
मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री (मानसिक उत्पत्ति से जन्मी) माना जाता है। उनकी उत्पत्ति नागलोक में हुई थी, और वे नागराज वासुकी की बहन हैं।
उनकी प्रमुख कथा एक गरीब ब्राह्मण चांद सौदागर से जुड़ी है। यह कहानी बताती है कि माता मनसा चांद सौदागर को अपनी भक्ति में लाना चाहती थीं, लेकिन चांद सौदागर देवी मनसा को मानने से इंकार कर देते हैं। इसके बाद देवी ने उसे सबक सिखाने के लिए उसके पुत्र की मृत्यु कर दी। अंततः चांद सौदागर उनकी पूजा करते हैं और अपनी गलतियों का प्रायश्चित करते हैं।
इस कथा में यह संदेश मिलता है कि मनसा देवी भक्तों को उनके कर्मों का फल देती हैं और जो उन्हें सच्चे मन से पूजते हैं, उन्हें कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं।
माता मनसा की महिमा
- सांपों से रक्षा: माता मनसा की पूजा का मुख्य उद्देश्य सर्पदंश से रक्षा करना है। जो लोग नागों से भयभीत होते हैं, वे उनकी आराधना करते हैं।
- उर्वरता और समृद्धि: उन्हें उर्वरता, धन और समृद्धि की देवी भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- कष्टों का निवारण: माता मनसा को कृपा और दया की देवी माना जाता है। उनकी उपासना से कष्टों और दुखों से छुटकारा मिलता है।
- नाग पंचमी: नाग पंचमी के दिन माता मनसा की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन नागों को दूध अर्पित किया जाता है और माता मनसा से कृपा की प्रार्थना की जाती है।
पूजा विधि
माता मनसा की पूजा में उनके प्रतीक के रूप में सर्पों को दूध, फूल, हल्दी, चावल और सिंदूर अर्पित किया जाता है। उनकी कथा का पाठ किया जाता है और भजन-कीर्तन से उन्हें प्रसन्न किया जाता है।
माता मनसा की कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें अपने अहंकार को त्यागकर ईश्वर की शरण में जाना चाहिए और उनके प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए। उनकी महिमा आज भी लोकगीतों, कथाओं और भजनों में गूंजती है।