लघुकथा। "पैनी नजर"
सतीश "बब्बा"
रामरक्षा की जमीन पर गलबल सिंह की पैनी नजर लगी थी। गलबल इस ताक में था कि, रामरक्षा पर कब मुसीबत आए और उसकी सड़क के पास वाली अच्छी जमीन औने - पौने पर ले लूँ!
आखिर रामरक्षा की पत्नी बीमार पड़ गई। और रामरक्षा पत्नी को नजदीकी शहर के अस्पताल में इलाज के लिए ले गया।
गलबल अस्पताल में भी हमदर्दी दिखाने गया था। लेकिन ईमानदार, सीधा - सादा रामरक्षा ने चालबाज गलबल से पैसे नहीं माँगे।
रामरक्षा के गरीब दोस्तों ने खूब मदद की थी।
जब पत्नी को कुछ आराम मिला तब, रामरक्षा की मुश्किलें कम नहीं हुई। रामरक्षा की रातों की नींद और दिन का चैन गायब था। वह जानता था कि, गरीब दोस्त ब्याज तो नहीं लेंगे, लेकिन उनको पैसों की जरूरत तो है ही।
आखिर गलबल की नीति काम कर गयी। गाँव के लोगों ने रामरक्षा की जमीन नहीं खरीदी। तब मजबूर रामरक्षा की जमीन गलबल सिंह ने औने - पौने में ले लिया।
आखिर गलबल की पैनी नजर काम कर ही गयी और रामरक्षा को कंगाल कर ही दिया!
सतीश "बब्बा"