सतीश "बब्बा"
सोना ने फ्रैंड रिक्वेस्ट ओ के किया था। कुछ दिन चैट में औपचारिकता भर होती रही। फिर धीरे - धीरे विस्वास बढ़ने लगा।
एक दिन उसने कहा, "एक प्राब्लम हो गई है, क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?"
मैंने लिखा, "क्यों नहीं, प्राब्लम बताएं!"
उसने कहा, "मैं अपनी बुआ के यहाँ रहकर पढ़ाई कर रही हूँ, मैंने अपने किताब खरीदने के लिए एक आदमी से उधार 500 रुपये ले लिए हैं, उसे देना है!"
मैंने एकाउंट नंबर मांगा तो उसने जो फोन पे का नंबर दिया, मैं देखकर चौंक गया। यह नंबर मेरी भतीजी का था।
मैं उसके इस हरकत से खुद शर्मिंदा था। दूसरे नाम और आई डी से वह पता नहीं कितने लोगों को ठगा होगा।
मैं उसे समझाने के उद्देश्य से अपने भाभी के घर उसी पल चल पड़ा।
सोना ने फ्रैंड रिक्वेस्ट ओ के किया था। कुछ दिन चैट में औपचारिकता भर होती रही। फिर धीरे - धीरे विस्वास बढ़ने लगा।
एक दिन उसने कहा, "एक प्राब्लम हो गई है, क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?"
मैंने लिखा, "क्यों नहीं, प्राब्लम बताएं!"
उसने कहा, "मैं अपनी बुआ के यहाँ रहकर पढ़ाई कर रही हूँ, मैंने अपने किताब खरीदने के लिए एक आदमी से उधार 500 रुपये ले लिए हैं, उसे देना है!"
मैंने एकाउंट नंबर मांगा तो उसने जो फोन पे का नंबर दिया, मैं देखकर चौंक गया। यह नंबर मेरी भतीजी का था।
मैं उसके इस हरकत से खुद शर्मिंदा था। दूसरे नाम और आई डी से वह पता नहीं कितने लोगों को ठगा होगा।
मैं उसे समझाने के उद्देश्य से अपने भाभी के घर उसी पल चल पड़ा।