लघुकथा। "खोज"
सतीश "बब्बा"
प्रिया की फोटो सुंदर थी और फेसबुक प्रोफ़ाइल में शिक्षा और जन्मतिथि के साथ जाति भी भानुप्रताप के अनुकूल थी।
प्रिया के चैट पढ़कर भानुप्रताप ने सोचा, 'चलो अपनी बिरादरी की है, इसे बेटी बनाकर या फिर मेरे बेटे की और इसकी, दोनों की किस्मत का जोड़ा मिला तो, अपने बेटे की शादी इसी के साथ फिट कर, उसके परिवार से मिलकर, बहू के रूप में घर ले आऊँगा और बेटी की तरह प्यार करूंगा!'
हाय, हलो, नमस्ते के बाद और पूछताछ का सिलसिला चला कि, प्रिया ने जानू, यार सम्बोधन शुरू कर दिया। और फिर प्राब्लम बताकर पैसे माँगने शुरू कर दिया।
भानुप्रताप की समझ में आ गया था कि, फेसबुक पर सही रिश्ते खोजने में आग की दरिया से निकलने के समान है।
फिर भी भानुप्रताप हार नहीं मानी और फेसबुक पर, मैसेंजर पर अपनी खोज जारी किए हुए है।
अब भी फ्रैंड रिक्वेस्ट करना और फ्रैंड रिक्वेस्ट ओ के करना उसका एक हिस्सा बन गया है। भानुप्रताप की खोज जारी है।
सतीश "बब्बा"