सतीश "बब्बा"
पंचायत लगी थी। गाँव के सम्मानित लोग प्रधान, मुखिया और सभी वर्ग के लोग उपस्थित थे।
आज पंचायत में बिचार होना था कि, पंचायत सदस्य की बेटी एक जादूगर के साथ कैसे भाग गयी? जबकि लड़की की उम्र मात्र उन्नीस साल ही थी और वह जादूगर मात्र बीस साल का! दोनों इक्कीस के नहीं थे। जबकि आज के कानून के मुताबिक इक्कीस के पहले शादी जुर्म है।
तभी एक पंच ने कहा, "कहीं वह मोहनी मंत्र मारकर तो नहीं ले गया!"
तब एक पढ़ी - लिखी नवयुवती ने कहा, "यह जादूगर मात्र अपने हुनर, हाथ की सफाई से, चार पैसा कमाते हैं। और मंत्र - तंत्र सब दकियानूसी बातें हैं!"
उसकी बातों का एक ग्रैजुएट लड़के ने समर्थन किया।
उसी समय एक पढ़ी - लिखी और अनुभवी औरत ने कहा, "इन नवयुवती और नवयुवक ने जो कहा, वही सच है। जवानी की उलेल चौदह, पंद्रह, सोलह में ही आ जाती है। अठारह साल तो किसी तरह से चल जाता था, लेकिन यह इक्कीस, सहन के बाहर है। जवानी भी बरसात की पहली आई बाढ़ की तरह होती है। जो, सामने चाहे जो पड़े, सब कुछ बहाकर ले जाती है!"
सभी पंच युवती के पिता को सहानुभूति दिया और उठकर चले गए। और वे कर भी क्या सकते थे!
सतीश "बब्बा"