सतीश "बब्बा"
लघुकथा। "फादर्स डे"
सतीश "बब्बा"
रोज की तरह मेरा बेटा अपनी माँ के बाद सुबह मेरे चरणछूकर आज भी अपनी दिनचर्या शुरू करने चल दिया था।
मेरे बगल में अपने बिस्तर में लेटकर एक रिश्तेदार यह सब देख रहे था। उसने मेरे बेटे से पूछ लिया, "बेटा सुमित, आज तो शायद फादर्स डे है!"
मेरे सुमित ने हंसकर हाथ जोड़ दिया। और कहने लगा, "अंकल, फादर्स डे तो विदेशीय है। जो औलाद पैदा करने के बाद फिर दूसरा - दूसरा, अलग - अलग घर बसाते हैं। और औलाद जानता है कि, मेरे माँ - बाप कौन हैं! वही साल में एक दिन फादर्स डे मनाने के लिए उनसे मिलने जाते हैं। और एक दिन उनके पास रहकर फादर्स डे मनाते हैं, मदर्स डे मनाते हैं!"
उसने मेरे चरण पकड़कर और कहा, "अंकल, रही बात मेरी और मेरी तरह के और भारतीयों की तो, हमारा हर दिन, पिता दिन और हर दिन मातृ दिवस होता है। इनकी छाया तले काम करते हैं और इनका प्यार, आशीर्वाद पाकर धन्य हो जाते हैं!"
मैं अपने बेटे सुमित का जवाब सुनकर बहुत खुश हुआ और गर्व से मेरी छाती चौड़ी हो गई। मैं अपने आँखों के आँसू नहीं रोक पाया जो खुशी के आँसू थे।
सतीश "बब्बा"
लघुकथा। "फादर्स डे"
सतीश "बब्बा"
रोज की तरह मेरा बेटा अपनी माँ के बाद सुबह मेरे चरणछूकर आज भी अपनी दिनचर्या शुरू करने चल दिया था।
मेरे बगल में अपने बिस्तर में लेटकर एक रिश्तेदार यह सब देख रहे था। उसने मेरे बेटे से पूछ लिया, "बेटा सुमित, आज तो शायद फादर्स डे है!"
मेरे सुमित ने हंसकर हाथ जोड़ दिया। और कहने लगा, "अंकल, फादर्स डे तो विदेशीय है। जो औलाद पैदा करने के बाद फिर दूसरा - दूसरा, अलग - अलग घर बसाते हैं। और औलाद जानता है कि, मेरे माँ - बाप कौन हैं! वही साल में एक दिन फादर्स डे मनाने के लिए उनसे मिलने जाते हैं। और एक दिन उनके पास रहकर फादर्स डे मनाते हैं, मदर्स डे मनाते हैं!"
उसने मेरे चरण पकड़कर और कहा, "अंकल, रही बात मेरी और मेरी तरह के और भारतीयों की तो, हमारा हर दिन, पिता दिन और हर दिन मातृ दिवस होता है। इनकी छाया तले काम करते हैं और इनका प्यार, आशीर्वाद पाकर धन्य हो जाते हैं!"
मैं अपने बेटे सुमित का जवाब सुनकर बहुत खुश हुआ और गर्व से मेरी छाती चौड़ी हो गई। मैं अपने आँखों के आँसू नहीं रोक पाया जो खुशी के आँसू थे।
सतीश "बब्बा"