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Saawan Ka Mahina

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मेघों ने बाँसुरी बजाई, झूम उठी पुरवाई रे |बरखा जब गा उठी, प्रकृति भी दुलहिन बन शरमाई रे ||उमड़ा स्नेह गगन के मन में, बादल बन कर बरस गयाप्रेमाकुल धरती ने, नदियों की बाँहों से परस दिय

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