सतीश "बब्बा"
रामबिझोकन अपने खेत की मेंड़ में माटी डाल रहा था। गाँव के लखना ने, उसके बगल वाले खेत के मालिक लल्ला से कहा कि, "देखा नहीं, रामबिझोकन सीधी मेंड़ कर रहा है। जबकि नक्शे में तुम्हारा खेत, उसके खेत की ओर घुसा हुआ है!"
लल्ला ने आव देखा न ताव, और पहुंच गया रामबिझोकन को रोकने।
दोनों में तू तू, मैं मैं के बाद गाली - गलौज हुआ फिर ले दनादन लाठियाँ चलने लगी। रम्मू काका ने उसे बचा लिया नहीं रामबिझोकन ने उसे गिरा दिया था। दोनों खून से लथपथ थे। दोनों एक दूसरे की जान लेने पर आमादा थे।
आखिर खून से लथपथ रामबिझोकन और लल्ला को पुलिस ले गयी। और दोनों पक्ष पर मुकदमा दर्ज हुआ। दोनों ने सालों मुकदमा लड़ा।
हदबंदी अलग लोगों ने हमदर्दी में कहकर लड़ाया। इसके बावजूद पैसों के बल पर मुकदमा टूटा और हदबंदी के बावजूद पटवारी, कानूनगो की जेब गर्म किया तब कहीं हदबंदी हुई।
पैमाइश में मेंड़ वहीं थी। एकदम सही मिट्टी रामबिझोकन डाल रहा था।
दोनों के खेत सालों परती पड़े रहे। और लाखों रुपये मुकदमा में खर्च हुए। दुश्मनी, मनमुटाव और मारधाड हुआ सो अलग!
लखना आज भी इसी ताक में रहता है कि, किसे भिड़ाऊँ। उसे कोई कुछ कहने वाला भी नहीं है।
सतीश "बब्बा"