Meaning of ऐतिहासिक दृष्टि से in English
- In the manner of, or in accordance with, history.
Meaning of ऐतिहासिक दृष्टि से in English
English usage of ऐतिहासिक दृष्टि से
Synonyms of ‘ऐतिहासिक दृष्टि से’
Antonyms of ‘ऐतिहासिक दृष्टि से’
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चलो उम्र ना सही,
मेरा एक लम्हा तो सवारा है तूने,
वादा किए आखिरी सास तक की,
पर होते ही उड़ गए...
चलो जिंदगी का,
एक पल तो गुजारा है तूने ।
तबाह कर गया मुझको,
लब्जों मे बया भी नही कर सकता,
किया कितना खसारा है तूने,
पतझड़ का मौसम हो गयी है जिंदगी,
मेरा छीना एक - एक सहारा है तूने ।
मेरी मुश्किलें... उम्र के साथ
बढ़ती जा रही है,
कैसे कह दूँ...
दर्दों से मुझको उबारा है तूने,
जो तुम चल दिये..
अपनी यादों को भी लेकर जाते,
खुद को बसाकर...
अपने दिल से मुझको, नकारा है तूने ।
ये हवाएँ... ये फिजायें...
खुशबु नही लाती... अब...
पहले की तरह,
लगता है गुलशन को भी
बदन से उतारा है तूने,
वो लबों की मुश्कान तेरी...
ख्वाबों मे भी दिल को चिर जाती है,
जाने क्यूँ... और कैसे...
मेरी मोहब्बत को, किया किनारा है तूने ।
वफा, एहतराम.. जो कुछ भी है,
तेरे - मेरे दरमियाँ.. इश्क़ में
सारा का सारा.. हमारा है,
ऐ साथी , साथ छोड़ जाना तेरा,
हर शाम गुजारती है मयखाना मेरा,
संभलना कहीं तुझे भी
कोई छोड़ ना जाए...
किया गलत इशारा है तूने ।
वादा किये आखिरी सास तक की
पर होते ही उड़ गए,
चलो जिंदगी का....
एक पल तो गुजारा है तूने..... ।।
✍️ Author Munna Prajapati
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- #lyrics #hindi कोई खुश है दील दुखाने मे....
कोई खुश है बहोत इस
दिल को दुखाने मे,
बस एक ही शवाल है जमाने में,
कोई क्या जाने
शुकुन मिलता है मयखाने में...
दो घुट उतरे और रात गुजर जाती है
शाराब को जेहेन से लगाने मे....
कोई खुश है बहोत इस
दिल को दुखाने मे.... ।
मन का घर है जल रहा, निर बरसे
नयन, दहले आग ना बुझ पाए...
क्यु लूट गया मेरा ये चमन, सोचना
चाहे पर, कुछ ना सूझ पाए..... ।
बाग मे कोई फुल खिला ,ना
वक़्त भी लगा बिखर जाने मे...
कोई क्या जाने
शुकुन मिलता है मयखाने मे...
कोई खुश है बहोत इस
दिल को दुखाने मे... ... ।
ये किससे दिल को लगा बैठे, छत
झूठी दीवारों पर टिका बैठे...
खुशियों के दिन बोले थे, वो कैसे
रूठे दिन दिखा बैठे.... ।
रचित इश्क़ ना करना इस जमाने मे...
कोई खुश है बहोत इस
दिल को दुखाने मे.....
बस एक ही शवाल है जमाने मे,
कोई क्या जाने
शुकुन मिलता है मयखाने में...
दो घुट उतरे और रात गुजर जाती है
शराब को जेहेन् से लगाने मे....
कोई खुश है बहोत इस
दिल को दुखाने मे....... ।
~ मुन्ना प्रजापति (उ.प्र.)
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