टूट गई एक कली
आज अपनी डाल से
रो रही थी शाख
अभी तो खिली भी नहीं थी वह
टूट कर क्यों गिर गई
फूल बनने से पहले
वह मुझसे बिछड़ क्यों गई?
पर क्या उत्तर दूं मैं उसे
सृष्टि के चक्र के आगे ्
किसी की चलती नहीं
जीवन मृत्यु की डगर
किसी से रुकती नहीं
बस मानव तू
निष्काम कर्म का दामन पकड़
आगे बढ़ता चल, आगे बढ़ता चल।
(©ज्योति)