क्या लिखूं कैसे लिखूं
मेरे पास कोई कहानी नहीं
कल सड़कों पर हुआ दंगा
इन आंखों से अश्रु गिरा देता है
खून से लथपथ धरती
सड़क पर फैली लाशें
हाथों को कॅंपा देती है
क्या लिखूं कैसे लिखू
सोचती हूं दोनों ही तो आदमी थे
एक ने लोगों के घरों को जलाया
लाशों का अंबार लगाया
दूसरे ने जलते घरों से
अपनी जान पर खेलते हुए
लोगों को बचाया
क्या लिखूं कैसे लिखूं
एक मानवता का दुश्मन था
तो दूसरा मानवता का पुजारी
तभी तो लोगों ने
पहले को हैवान कहा
दूसरे को भगवान कहा ।
(©ज्योति)